Amar Sigh (1956-2020) पूर्व सपा नेता और राज्यसभा सांसद अमर सिंह नहीं रहे, लंबे समय से थे बीमार
Amar Sigh (1956-2020): राज्यसभा सदस्य और पूर्व समाजवादी पार्टी नेता अमर सिंह का 64 साल की उम्र में शनिवार की दोपहर बाद सिंगापुर में निधन हो गया। अमर सिंह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और करीब छह महीने से उनका सिंगापुर में इलाज किया जा रहा था। मुंबई मिरर की हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया था कि वह आईसीयू में थे और उनका परिवार वहां पर था। इससे पहले, साल 2013 में अमर सिंह की किडनी खराब हो गई थी।

Amar Sigh (1956-2020) इससे पहले, आज सुबह ही उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अमर योद्धा और शिक्षाविद बाल गंगाधर तिलक को उनकी पुण्यतिथि पर एक ट्वीट के जरिये याद किया था। अपने प्रशंसकों को ईद की शुभकामनाएं दी थीं। मार्च के महीने में उन्होंने एक वीडियो भी ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि वह अपना इलाज करा रहे हैं और जल्द ही वह स्वस्थ हो जाएंगे। उन्होंने 'टाइगर अभी जिंदा है' कैप्शन के साथ एक छोटा सा वीडियो संदेश भी जारी किया था।
समाजवादी पार्टी के पूर्व कद्दावार नेता अमर सिंह बीमारी के बावजूद सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव थे। उन्होंने 22 मार्च को एक वीडियो पोस्ट कर करके अपने प्रशंसकों से कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में पीएम मोदी का समर्थन करने की अपील की थी।
सिंह ने 6 जनवरी, 2010 में समाजवादी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था, फिर बाद में पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था। उन्होंने समाजवादी पार्टी छोड़ने के बाद अपनी पार्टी बनाई थी। एक समय वह सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के सबसे विश्वासपात्र माने जाते थे। उन्होंने हाल में एक ट्वीट कर कहा था कि वह सपा में कभी नहीं लौटे।
अमर के लिए कुछ भी असंभव नहीं
उस वक्त ये भी कहा जाने लगा कि राजनीति में अमर सिंह के लिए कोई भी काम असंभव नहीं। 2008 में भारत की न्यूक्लियर डील के दौरान वामपंथी दलों ने समर्थन वापस लेकर मनमोहन सिंह सरकार को अल्पमत में ला दिया। तब अमर सिंह ने ही समाजवादी सांसदों के साथ साथ कई निर्दलीय सांसदों को भी सरकार के पाले में ला खड़ा किया। संसद में नोटों की गड्ढी लहराने का मामला भी सामने आया। इस मामले में अमर सिंह को तिहाड़ जेल भी जाना पड़ा।
छह साल बाद फिर लौटे अमर सिंह
वर्ष 2016 में समाजवादी पार्टी में वो फिर लौटे और तब राज्य सभा के लिए चुने गये। लेकिन जल्दी ही फिर उनके लिए मुश्किल भरे दिन आने वाले थे। एक साल बाद बाद ही समाजवादी पार्टी में जबरदस्त उठापटक के बाद अखिलेश पार्टी के मुखिया बन गए। अमर सिंह फिर किनारे हो गए।
हालांकि उन्होंने तब अखिलेश के खिलाफ जमकर बयानबाजी की, फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में जमकर बयान दिए। उन्होंने इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अपनी पैतृक संपत्ति दान में देने की भी घोषणा की। शायद अमर मानकर चल रहे थे कि भाजपा में उनका प्रवेश हो पाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पिछले दो सालों से अमर सिंह करीब करीब भारतीय राजनीति से नदारद हो चुके हैं।