आपको मालूम है आजादी की निश्चित तिथि से दो सप्ताह पहले गांधीजी ने दिल्ली क्यों छोड़ा? पढ़िए 10रोचक तथ्य
15 अगस्त सन् 1947 में यही वो दिन है जब भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिली थी और एक नयी पहचान मिली थी। इसी दिन अब पूरे भारत में स्वतंत्रता दिवस (independence day) के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो इस आजादी में कई सैकड़ो जाबांजो का इंकलाब प्रेमियों का खून बहा है लेकिन अंग्रेजों से भारत को आजादी दिलाने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अहम भूमिका रही थी। लेकिन क्या आपको इस बात की जानकारी है कि जब भारत को आजादी मिली थी तो महात्मा गांधी इस जश्न में नहीं थे।

आज हम पढ़ेंगे 15 अगस्त सन 1947 की कुछ रोचक तथ्यों के बारे मे।
1. आजादी की निश्चित तिथि से दो सप्ताह पहले ही गांधीजी ने दिल्ली को छोड़ दिया था। उन्होंने चार दिन कश्मीर में बिताए और उसके बाद ट्रेन से वह हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे।
2. 15 अगस्त 1947, को जब भारत को आजादी मिली थी तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इस जश्न में शामिल नहीं हो सके थे, क्योंकि तब वे दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे। उस वक्त देश को आजादी तो मिली थी लेकिन इसके साथ ही मुल्क का बंटवारी भी हो गया था। पिछले कुछ महीनों से देश में लगातार हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे हो रहे थे। इस अशांत माहौल से गांधीजी काफी दुखी थे और हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे।
3. 14 अगस्त की मध्यरात्रि को जवाहर लाल नेहरू ने अपना ऐतिहासिक भाषण 'Tryst with Destiny' दिया था। इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना था लेकिन महात्मा गांधी ने इसे नहीं सुना क्योंकि उस दिन वे जल्दी सोने चले गए थे।
4. हर साल स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं, लेकिन 15 अगस्त, 1947 को ऐसा नहीं हुआ था। लोकसभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक नेहरू ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था। भारतीय डाक विभाग द्वारा कई डाक संग्रहण प्रतियोगिताओं में निर्णायक की भूमिका अदा कर चुके कोलकाता निवासी शेखर चक्रवर्ती ने अपने संस्मरणों फ्लैग्स एंड स्टैम्प्स में लिखा है कि 15 अगस्त 1947 के दिन वायसराइल लॉज जिसे अब राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता है उसमे जब नई सरकार को शपथ दिलाई जा रही थी, तो वायसराइल लॉज के सेंट्रल डोम पर सुबह साढ़े दस बजे आजाद भारत का राष्ट्रीय ध्वज पहली बार फहराया गया था।
उन्होंने बताया कि इससे पूर्व 14-15 अगस्त की रात को स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज कौंसिल हाउस के उपर फहराया गया, जिसे आज संसद भवन के नाम से जाना जाता है। 15 अगस्त 1947 को सुबह छह बजे की बात है। देश के इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दिए जाने का कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम में पहले समारोहपूर्वक यूनियन जैक को उतारा जाना था, लेकिन जब देश के अंतिम वायसराय लार्ड माउंटबेटन ने पंडित नेहरू के साथ इस पर विचार विमर्श किया, तो उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि यह ऐसा दिन है जब हर कोई खुशी चाहता है, लेकिन यूनियन जैक को उतारे जाने से ब्रिटेन की भावनाओं के आहत होने के अंदेशे के चलते उन्होंने समारोह से इस कार्यक्रम को हटाने की बात कही।
5. 15 अगस्त तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था। इसका फैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ जोकि भारत और पाकिस्तान की सीमाअओं को निर्धारित करती थी।
6. भारत 15 अगस्त को आजाद जरूर हो गया लेकिन उस समय उसका अपना कोई राष्ट्र गान नहीं था। हालांकि रवींद्रनाथ टैगोर 'जन-गण-मन' 1911 में ही लिख चुके थे, लेकिन यह राष्ट्रगान के तौर पर २४ जनवरी 1950 में अपनाया गया।
7. 15 अगस्त को भारत के अलावा तीन अन्य देशों का भी स्वतंत्रता दिवस होता है। दक्षिण कोरिया जापान से 15 अगस्त, 1945 को आज़ाद हुआ। ब्रिटेन से बहरीन 15 अगस्त, 1971 को और फ्रांस से कांगो 15 अगस्त, 1960 को आजाद हुआ था।
8. 15 अगस्त 1947 को, 1 रुपया 1 डॉलर के बराबर था और सोने का भाव 88 रुपए 62 पैसे प्रति 10 ग्राम था। आज 74.81 रुपये के बराबर 1 डॉलर है। प्रति 10 ग्राम सोने का कीमत लगभग 52 हजार से ऊपर है।
9. यह लार्ड माउंटबेटन ही थे जिन्होंने निजी तौर पर भारत की स्वतंत्रता के लिए 15 अगस्त का दिन तय किया क्योंकि इस दिन को वह अपने कार्यकाल के लिए बेहद सौभाग्यशाली मानते थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 15 अगस्त 1945 को जापान ने मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण किया था।
10. 15 अगस्त, 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने दफ़्तर में काम किया। दोपहर में नेहरू ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल की सूची सौंपी और बाद में इंडिया गेट के पास प्रिसेंज गार्डेन में एक सभा को संबोधित किया।