क्या मध्यप्रदेश के तरह राजस्थान में भी कांग्रेस की सरकार गिरने वाली है ? जानिए क्या है मामला
बीते कुछ समय में जहां पूरा देश कोरोना से जूझ रहा है वही अब मध्य प्रदेश में सरकार गंवाने के बाद अब राजस्थान में उथल-पुथल मची हुई है। सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने आरोप लगाया है कि बीजेपी उनकी सरकार गिराने की कोशिश कर रही है। और मुख्यमंत्री गहलोत चुनाव के समय से ही भाजपा पर यह आरोप लगा रहे है।

मुख्यमंत्री गहलोत का दावा है कि विधायकों को 'अपनी निष्ठा बदलने के लिए' 10 से 15 करोड़ रुपये तक की पेशकश की जा रही है।
क्या कुछ कहा राजस्थान के मुख्यमंत्री ने
राजस्थान के सीएम ने कहा, "मैं चाहता हूं कि पूरा देश जाने की बीजेपी अब अपनी सारी सीमाएं पार कर रही है. वह मेरी सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है." गहलोत ने आगे कहा, "हम विधायकों को पाला बदलने के लिए ऑफर देने की बात सुनते रहे हैं. कुछ लोगों को 15 करोड़ रुपये तक देने का वादा किया गया है और कुछ को अन्य प्रलोभन देने की बात कही गई है. यह लगातार हो रहा है'.
किस मामले ने और कहां से पकड़ा तूल
दरअसल इस मामले ने जब राजस्थान में उस समय तूल पकड़ना शुरू किया जब राज्यसभा की दो सीटों के लिए हो रहे चुनाव के दौरान दर्ज हुई शिकायत की जांच में राजस्थान पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन्स ग्रुप ने बीजेपी से संपर्क रखने वाले दो लोगों को बियावर और उदयपुर से पकड़। इन दोनों लोगों के फ़ोन पर हुई बातचीत से विधायकों को प्रलोभन देने की बात सामने आयी थी। लेकिन इनमें से एक निर्दलीय विधायक रमिला खाडिया जिनका FIR में ज़िक्र किया गया है उन्होंने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
क्या सिंधिया की राह पकड़ेंगे पायलट?
2018 विधानसभा चुनाव के वक्त सिंधिया और पायलट दोनों ही मुख्यमंत्री पद के सक्षम दावेदार थे। लेकिन कमलनाथ और गहलोत के नाम बाजी हाथ लगी थी। राहुल गांधी की कोर टीम का हिस्सा रह चुके सिंधिया और पायलट एक दूसरे के बहुत ही अच्छे दोस्त हैं। जब एमपी में सिंधिया ने पार्टी से बगावत कर कमलनाथ सरकार को गिराया था, तब सोशल मीडिया पर ऐसी अटकलें खूब लगी थीं कि कहीं पायलट भी दोस्त सिंधिया की राह न पकड़ लें।
अब सवाल यह है की क्या सरकार पर संकट है या नहीं?
फिलहाल राजनीतिक आरोप प्रति आरोप के बीच में पुलिस इस मामले में कितने तथ्य जुटा पाती है। उसी से पता लगेगा कि अशोक गहलोत सरकार में संकट में है या नहीं। आपको बता दें कि राज्य विधानसभा में कुल 200 विधायकों में से कांग्रेस के पास 107 विधायक और भाजपा के पास 72 विधायक हैं। राज्य के 13 में से 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी कांग्रेस को है।