चार दिनो से बढ़ रहे है पेट्रोल और डीजल का दाम, जानिए आपके शहर का हाल
लॉकडाउन में धीरे-धीरे छूट दिए जाने के बाद अब निजी वाहनों और ऑटो-टैक्सी आदि को चलने की अनुमति दे दी गई है, जिसके चलते पेट्रोल-डीजल की मांग में अचानक वृद्धि हुई है।

तेल कंपनियों द्वारा 83 दिनों तक कीमतों की समीक्षा स्थगित रखी गई। अब कीमत में दैनिक बदलाव की प्रक्रिया दोबारा शुरू कर दी गई है। देश में आज लगातार चौथे दिन भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ी हैं। पिछले चार दिनों में तेल की कीमतें दो रुपये से भी ज्यादा बढ़ी हैं। पेट्रोल 2.14 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है और डीजल के दाम में 2.23 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।
आख़िर तेल की कीमते कैसे तय होती है?
पेट्रोल और डीजल की कीमते निर्भर करती है की विदेशी मुद्रा दरों के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें क्या हैंऔर डीजल रेट रोज तय करने का काम तेल कंपनियां करती हैं। वे खुद को खुदरा कीमतों पर उपभोक्ताओं के अंत में टेक्स और अपने स्वयं के मार्जिन जोड़ने के बाद पेट्रोल बेचते हैं। पेट्रोल रेट और डीजल रेट में यह कॉस्ट भी जुड़ती है। देश में पेट्रोल-डीजल पर टैक्स 69 फीसदी हो गया है, जो विश्व में सबसे ज्यादा है। पिछले साल तक भारत में पेट्रोल-डीजल पर 50 फीसदी तक टैक्स था।
कैसे पता चलेगा आपके शहर में कितना है दाम
पेट्रोल-डीजल की कीमत आप SMS के जरिए जान सकते हैं। इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, आपको RSP और अपने शहर का कोड लिखकर 9224992249 नंबर पर भेजना होगा। हर शहर का कोड अलग-अलग है, जो आपको IOCL (Indian Oil Corporation Limited) की वेबसाइट से मिल जाएगा।
तेल कंपनियो ने रोक दी थी कीमतों की दैनिक समीक्षा
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के लाभ के लिए सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में तीन रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी, जिसके बाद तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड ने कीमतों की दैनिक समीक्षा रोक दी थी.
इसके बाद सरकार ने छह मई को एक बार फिर पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया। इस वृद्धि के बाद पेट्रोल पर कुल उत्पाद शुलक बढ़कर 32.98 रुपये लीटर और डीजल पर 31.83 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया. तेल कंपनियों ने हालांकि, उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी का भार ग्राहकों पर नहीं डाला, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ उसे समायोजित कर दिया गया.