संघर्ष ही जीवन है और जो संघर्ष से नहीं डरा, उसको कामयाबी से कोई नहीं रोक सकता
अगर आप मे संघर्ष करने की क्षमता है तो आपको अपने सपनो की उड़ान भरने से कोई नही रोक सकता है। जब बात संघर्ष की आती है तब बहुत सारे लोगो का हौसला जबाब दे जाता है और तुरंत अपना सपना बदल लेते है या फिर छोड़ देते है। आज हम आपको एक ऐसे ही संघर्ष की कहानी सुनाएंगे.

बिहार के रहने वाले शिवालक राज की कहानी आप मे ज़रूर एक प्रेरणा देगी की जो भी हो अपने सपनो की उड़ान को कभी भी नही छोड़नी चाहिए।
एक संक्षिप्त परिचय
शिवालक राज आज बहुत ही कमियाब कराटे कोच और समाज सेवी है। आज वो अपना 10 से अधिक कराटे और किक-बॉक्सिंग जैसे प्रशिक्षण सेंटर चला रहे है। शिवालक ने राष्ट्रीय, एशियन और अंतरराष्ट्रीय जैसे प्रतियोगिताओ मे स्वर्ण पदक हासिल कर के देश का नाम रौशन कर चुके है। साथ ही समय समय पर समाज सेवी के तौर पर भी अच्छा काम करते रहते है। शिवालक राज का जन्म 11 जून 1989 को बिहार के मधेपुर में हुआ था।
7 वर्ष की आयु में ही छोड़ा घर
शिवालक ने बचपन से ही काफ़ी मुसीबतों का सामना किया। महज 3 महीनो के थे तब अपनी माँ को खो दिया। फिर घरेलू हिंसा और मतभेद के कारण महज 7 वर्ष की आयु मे ही घर छोड़ने का निश्चय कर लिया।
चाचा के मिलने की उमिद मे स्टेशन पर बिताए राते
घर छोड़ने के बाद दिल्ली आ गये क्यू की यहा इनके चाचा रहते थे, लेकिन उन्हें घर नहीं मिला। 3 साल तक स्टेशन पर इधर से उधर भटकते रहे और उन्होंने चाय और कूड़ा बेचकर गुजारा किया।

सलाम बालक ट्रस्ट ने बदली किस्मत
एक बार पुलिस के साथ झड़प मे उन्होने एक पुलिस को पथर मार के घायल कर दिया, ये झड़प पुलिस द्वारा अपशब्द कहे जाने के बाद हुआ। पुलिस स्टेशन ले जाने के बाद उनकी मुलाकात सलाम बालक ट्रस्ट से जुड़े एक अधिकारी से हुई। सब कुछ देख कर वो अधिकारी शिवालक को ट्रस्ट मे ले गये।
एनजीओ की तरफ सेे ही उन्हें पढ़ाई करने का मौका मिला। उसके बाद में उन्होंंने खेलना शुरू कर दिया। सलाम बालक ट्रस्ट उनका खर्च उठाती है।

देश के लिए जीते गोल्ड मेडल
शिवालक राज 1999 से किक बॉक्सिंग की बारीकियां सिखनी शुरू की थी। पहली बार तमिलनाडू में 2000 में नेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था। उसके बाद आज तक पीछे मुड़कर नहीं देखा। अभी तक वे नेशनल चैंपियनशिप में 32 गोल्ड मेडल हासिल कर चुके. साथ ही उन्होने राष्ट्रीय, एशियन और अंतरराष्ट्रीय जैसे प्रतियोगिताओ मे स्वर्ण पदक हासिल किया है।
शिवालक अभी कराटे मे ब्लेक बेल्ट 3rd Dan हासिल कर चुके है.
इसके अलावा शिवालक क्रिकेट का भी शौख रखते है.
समाज सेवा मे भी दिखाते है रूचि
शिवालक राज अपने रोज के कामकाज के अलावा ज़रूरत पड़ने पर लोगो की मदद भी करते है. करोना संकटकाल मे उन्होने आचरण शक्ति फाउंडेशन के साथ मिल कर कई परिवरो को राशन और ज़रूरत के समान भी उपलब्ध करवाया है. जो कुछ भी उन्होने हासिल किया आज वो सब कुछ ज़रूरतमंद बच्चो के लिए कर रहे है. ऐसे बच्चे जो जिनकी क्षमता नही है उनको मुफ़्त मे कराटे की शिक्षा भी देते है. आज शिवालक एक स्पोर्टमैन या समाज सेवी ही नही बल्कि युवाओ का प्रेरणा स्त्रोत भी बन रहे है.
आज उनके जन्मदिन पर पूरे बेफिकर पोस्टमॅन के टीम के तरफ से जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई.